यहीं कहीं ज़िंदा हूँ अभी
तुझे देखे की ख़ातिर शायद
दिल की धड़कने टूटी नहीं
आँखों की आस भी बाक़ी है
शायद एक दिन तू मिल भी जाए
साँस का रुकना बाक़ी है अभी
सुबह को तेरी याद, रात को तेरी फ़रियाद
हाथ बढ़ाऊँ और छू लूँ तुझे
यह ख़्वाब भी बाक़ी है अभी
सीने में समा न पायें
सब अरमान बाक़ी हैं अभी
यहीं कहीं ज़िंदा हूँ अभी
तेरे मिलने की उम्मीद मैं शायद
1 comment:
Man! God knows what you are waiting for..but you do have some patience.. I think I am done for this lifetime :P
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