Tuesday, March 15, 2016

फूँक दे

This songs reverberates so well with what I feel right now. 



जब नशा टूटता है 

कितने टुकड़े गिरे हैं

होश चुनने लगे हम 

हम भी क्या सिर फिरे हैं 

लब पर जल रही है 

वो बात फूँक दे 

होंठों से रात की 

यह राख फूँक दे 

हयात फूँक दे

हवास फूँक दे 

साँस से सिला हुआ लिबास फूँक दे। 



~ankit
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