Thursday, June 7, 2007

इल्तेजा

वोह जो निशान् बाक़ी रह गए हैं
उन्हें मिटा दो,
मेरे कहे जो सवाल हैं
उन्हें भुला दो
जहाँ कुछ याद ना रहे
ऐसे जहाँ मैं ले चलो
जहाँ तुम्हें भीड़ मैं ना खोजूं
तुम्हारे गुम होने पर अश्रु ना बहें
तुम्हारे मिल जाने पर आँख नम ना हो
तुम रकीब भी ना हो
और अपने भी नहीं

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